बुधवार, 1 मई 2024

ग़ज़ल 362[38F] : हम तेरा एहतराम करते हैं

 ग़ज़ल 362 [38F]

2122---1212---22


हम तेरा एहतराम करते हैं

याद भी सुबह-ओ-शाम करते हैं ।


नक्श-ए-पा जब कहीं दिखा तेरा

सर झुका कर सलाम करते हैं।


सादगी भी तेरी क़यामत है

बात यह ख़ास-ओ-आम करते हैं ।


इश्क़ के जानते नताइज़, सब 

इश्क़ के इन्तिज़ाम करते हैं ।


क्या तुझे दे सकेंगे हम, जानम !

ज़िंदगी तेरे नाम करते हैं ।


उनको इस बात की ख़बर ही नहीं

कि वो दिल में क़याम करते हैं ।


कब वो वादा निभाते हैं ’आनन’

हम निभाने का काम करते हैं ।


-आनन्द.पाठक- 

सं 29-06-24