ग़ज़ल 366 [ 47-अ]
221---1222// 221-1222
मुश्किल है बहुत मुश्किल अपनों से विदा लेना
नायाब हैं ये आँसू, पलकों में छुपा लेना ।
किस दिल में तुम्हे रहना, अधिकार तुम्हारा है,
राहों में अगर अगर मिलना , नज़रे न चुरा लेना ।
जो साथ तुम्हारे हैं, मुंह मोड़ के चल देंगे ,
जो रूठ गए अपने, उनको तो मना लेना ।
हैं लोग बहुत ऐसे, सब कुछ न जिन्हें मिलता
हासिल जो हुआ तुमको, बस दिल से लगा लेना।
जीवन का सफ़र लम्बा, आसान नहीं होता ,
अपना जो लगे तुमको, हमराज़ बना लेना ।
महफ़िल में तुम्हारे जब, कल मैं न रहूँ शामिल
पर गीत मेरे होंगे, अधरों पे सजा लेना ।
’आनन’ जो हुआ पागल, आदत न गई उसकी
राहों में पड़े काँटे, पलको से उठा लेना ।
-आनन्द. पाठक-
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