रविवार, 12 मई 2024

ग़ज़ल 366/47अ : मुशकिल है बहुत मुशकिल

ग़ज़ल 366/ 47-अ

221---1222// 221-1222


मुश्किल है बहुत मुश्किल अपनों से विदा लेना

नायाब हैं ये आँसू, पलकों में छुपा लेना  ।


किस दिल में तुम्हे रहना, अधिकार तुम्हारा है, 

राहों में अगर अगर मिलना , नज़रे न चुरा लेना ।


जो साथ तुम्हारे हैं, मुंह मोड़ के चल देंगे ,

जो रूठ गए अपने, उनको तो मना लेना ।


हैं लोग बहुत ऐसे, सब कुछ न जिन्हें मिलता

हासिल जो हुआ तुमको, बस दिल से लगा लेना।


जीवन का सफ़र लम्बा, आसान नहीं होता ,

अपना जो लगे तुमको, हमराज़ बना लेना ।


महफ़िल में तुम्हारे जब, कल मैं न रहूँ शामिल

पर गीत मेरे होंगे, अधरों पे सजा लेना ।


’आनन’ जो हुआ पागल, आदत न गई उसकी

राहों में पड़े काँटे, पलको से उठा लेना ।


-आनन्द. पाठक- 


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