दोहे 17: चुनावी दोहे
आँसू चार बटोर कर, भरी सभा छलकाय ।
इसी बहाने हॊ सही ,चन्द वोट मिल जाय॥
झूठ बोल कर चल दिया, अफ़वाहों का दौर ।
सच की कसमें खा रहा, झूठों का सिरमौर ॥
सच की कसमें खा रहा, झूठों का सिरमौर ॥
मार गुलाटी आ गए, पलटू जी इस पार ।
कहीं न जाना अब उन्हें, कहते बारम्बार ।
संविधान के नाम पर, करते है हुड़दंग ।
चील कबूतर कर रहें, साथ साथ सतसंग ।।
करना धरना कुछ नहीं, करते है बकवास ।
ऐसे नेता पर करे , क्या कोई विश्वास ॥
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