शुक्रवार, 10 मई 2024

मुक्तक 09 [चुनावी]

चुनावी मुक्तक 

:1:

खबरों का बाजार गर्म है,
राजनीति में झूठ धर्म है,
भाँज हवा में तलवारें बस
हर चुनाव का यही मर्म है ।

2:
वादे हैं वादों का मौसम
जन्नत भी लाकर देंगे हम
’वोट’ हमी को देना प्यारे!
बाद कहाँ तुम ! बाद कहाँ हम !

;3:
ऊँची ऊँची फ़ेंक रहा ,वह
अपनी रोटी सेंक रहा, वह
जुमलों का बाज़ार सजाए -
सच कहने से झेंप रहा, वह ।

:4:
कितना हूँ मैं भोला भाला
ना खाया , ना खाने वाला
पहले आने दे ’कुरसी’ पर
राम राज फिर आने वाला ।

;5:
सुन मेरे आने की आहट
दे दे अपना वोट फटाफट
भर दूँगा मैं ’खाता’ तेरा 
गिरते रहना नोट खटाखट ।

-आनन्द.पाठक-

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