मंगलवार, 7 मई 2024

दोहा 16 : चुनावी दोहे

दोहा 16 : चुनावी

आँसू चार बटोर कर, भरी सभा ढुलकाय ।
इसी बहाने ही सही, चंद वोट मिल जाय ॥

मौसम नए चुनाव का, जुमलों की बौछार ।
जनता सुन सुन खुश हुई, जन्नत मेरे द्वार ॥

बाँट रहे हैं 'रेवड़ी', सबको गले लगाय ।
"वोट हमें देना सखे !"- नेता जी मिमियाय ॥

चाहे जिस दल में रहें, "कुर्सी" पर हो ध्यान ।
राजनीति के कर्म में , परम सत्य यह ज्ञान ।

हर दल करने लग गया, गठबंधन  बेमेल ।
नेता जी की चाल में, डाल-पात का खेल ।।

पंछी उड़ने लग गए, एहि डाल वो डाल ।
टिकट जहाँ से मिल सके, इस निर्वाचन काल ।।

वादे करने चल पड़े, खोजन लगे शिकार ।
"खटाखटा खट" से सखे!, बचना है इस बार ।।


-आनन्द पाठक-


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