दोहा 16 : चुनावी
इसी बहाने ही सही, चंद वोट मिल जाय ॥
मौसम नए चुनाव का, जुमलों की बौछार ।
जनता सुन सुन खुश हुई, जन्नत मेरे द्वार ॥
बाँट रहे हैं 'रेवड़ी', सबको गले लगाय ।
"वोट हमें देना सखे !"- नेता जी मिमियाय ॥
चाहे जिस दल में रहें, "कुर्सी" पर हो ध्यान ।
राजनीति के कर्म में , परम सत्य यह ज्ञान ।
हर दल करने लग गया, गठबंधन बेमेल ।
नेता जी की चाल में, डाल-पात का खेल ।।
पंछी उड़ने लग गए, एहि डाल वो डाल ।
टिकट जहाँ से मिल सके, इस निर्वाचन काल ।।
वादे करने चल पड़े, खोजन लगे शिकार ।
"खटाखटा खट" से सखे!, बचना है इस बार ।।
-आनन्द पाठक-
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