दोहे 15 : चुनावी दोहे
चरण वंदना ’बॉस’ की, श्रद्धा का है रूप
अँधियारा कहना पड़े, जब विकास का धूप ।
यह चुनाव का दौर है, सुन ले सबकी बात
जनता की सहनी पड़े, सह ले पद आघात ।
प्रश्न हमारा आप से, सुन कर रहें न मौन
जीत रहें है जब सभी, हार रहा है कौन ?
पप्पू , पप्पू मत कहें , पप्पू सब ना होय
पप्पू ढूँढन मैं चला, मिला न दूजा कोय ।
नेता जी करने लगे, नैतिकता का जाप
’सतयुग’ से सीधे यहीं, आए हैं क्या आप?
वादे पर वादे करें, सपनों की भरमार
दूर खड़े ह्वै देखिए, मतदाता की लार ।
-आनन्द.पाठक-
1 टिप्पणी:
वाह
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