गुरुवार, 2 मई 2024

दोहा 15 : चुनावी दोहे

  दोहे 15 : चुनावी दोहे


चरण वंदना ’बॉस’ की, श्रद्धा का है रूप

अँधियारा कहना पड़े, जब विकास का धूप ।


यह चुनाव का दौर है, सुन ले सबकी बात

जनता की सहनी पड़े, सह ले पद आघात ।


प्रश्न हमारा आप से, सुन कर रहें न मौन 

जीत रहें है जब सभी, हार रहा है कौन ?


पप्पू , पप्पू मत कहें , पप्पू सब ना होय

पप्पू ढूँढन मैं चला, मिला न दूजा कोय ।


नेता जी करने लगे, नैतिकता का जाप

’सतयुग’ से सीधे यहीं, आए हैं क्या आप?


वादे पर वादे करें, सपनों की भरमार

दूर खड़े ह्वै देखिए,  मतदाता की लार ।


-आनन्द.पाठक-