शनिवार, 11 मई 2024

मुक्तक 10 [ चुनावी]

 मुक्तक 10 : चुनावी मुक्तक


:1:

राजतिलक की है तैयारी

सब ही माँगे भागीदारी ,

एक हमी तो ’हरिश्चन्द्र; हैं

बाक़ी सब हैं भ्रष्टाचारी ।

:2:

कुरसी देख देख मन डोले

माल दिखा तो पत्ता खोले

भरे तराजू मेढक सारे

कैसे कोई इनको तोले

:3:

सबके अपने अपने नारे

कर्ज माफ कर देंगे सारे

यह अपनी "गारंटी" भइया

'वोट' हमें जब देगा प्यारे !

:4:

रोजगार हम घर घर देंगे

तुझको भी हम अवसर देंगे

मुफ्त रेवड़ी राशन-पानी

से तेरा हम घर भर देंगे


:5:

ये सब हैं मौसामी परिंदे

’वोट’ माँगना- इनके धन्धे

वोट जिसे भी चाहे देना

आँख खोल कर देना , बंदे !

-आनन्द पाठक-

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