मुक्तक 10 : चुनावी मुक्तक
:1:
राजतिलक की है तैयारी
सब ही माँगे भागीदारी ,
एक हमी तो ’हरिश्चन्द्र; हैं
बाक़ी सब हैं भ्रष्टाचारी ।
:2:
कुरसी देख देख मन डोले
माल दिखा तो पत्ता खोले
भरे तराजू मेढक सारे
कैसे कोई इनको तोले
:3:
सबके अपने अपने नारे
कर्ज माफ कर देंगे सारे
यह अपनी "गारंटी" भइया
'वोट' हमें जब देगा प्यारे !
:4:
रोजगार हम घर घर देंगे
तुझको भी हम अवसर देंगे
मुफ्त रेवड़ी राशन-पानी
से तेरा हम घर भर देंगे
:5:
ये सब हैं मौसामी परिंदे
’वोट’ माँगना- इनके धन्धे
वोट जिसे भी चाहे देना
आँख खोल कर देना , बंदे !
-आनन्द पाठक-
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