रविवार, 2 जनवरी 2022

ग़ज़ल 203 : आप के आने से पहले ---

 
ग़ज़ल 203

2122---2122--2122--212

आप के आने से पहले आ गई ख़ुश्बू इधर

ख़ैरमक़्दम के लिए मैने झुका ली है नज़र


यह मेरा सोज़-ए-दुरूँ, यह शौक़-ए-गुलबोसी मेरा

अहल-ए-दुनिया को नहीं होगी कभी इसकी ख़बर


नाम भी ,एहसास भी, ख़ुश्बू-सा है वह पास भी

दिल उसी की याद में है मुब्तिला शाम-ओ-सहर


तुम उठा दोगे मुझे जो आस्तान-ए-इश्क़ से

फिर तुम्हारा चाहने वाला कहो जाए किधर ?


बेनियाज़ी , बेरुख़ी तो ठीक है लेकिन कभी

देखने को हाल-ए-दुनिया आसमाँ से तो उतर ।


यह मुहब्बत का असर या इश्क़ का जादू कहें

आदमी में ’आदमीयत’ अब लगी आने नज़र


शेख़ जी ! क्या पूछते हो आप ’आनन’ का पता ?

बुतकदे में वह कहीं होगा पड़ा थामे जिगर 


-आनन्द.पाठक-


शब्दार्थ 

सोज़-ए-दुरुँ = हृदय की आन्तरिक वेदना

शौक़-ए-गुलबोसी = फूलों को चूमने की तमन्ना

अहल-ए-दुनिया को = दुनिया वालों को


1 टिप्पणी:

Pammi singh'tripti' ने कहा…

आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 5 जनवरी 2022 को लिंक की जाएगी ....

http://halchalwith5links.blogspot.in
पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
!

अथ स्वागतम् शुभ स्वागतम्।