गुरुवार, 22 जुलाई 2021

ग़ज़ल 187 : वह रंग बदलता है सियासत के नाम पर

 ग़ज़ल 187

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वह रंग बदलता है सियासत के नाम पर
जो गुल खिला रहा है शराफ़त के नाम पर

अब बागबाँ का नाम हवा में उछल रहा
लूटा चमन को उसने हिफ़ाज़त के नाम पर

कुछ रोटियाँ हैं सेंकनी घर से निकल पड़े
अब वोट साधने हैं इयादत के नाम पर

आता है जब चुनाव का मौसम कभी इधर
कुछ झुनझुने थमा दिया राहत के नाम पर

कलियाँ अगर हैं गा रहीं तो गाने दो बेहिचक
रोको न उनको रस्म-ए-नसीहत के नाम पर

वादे तमाम वादे है, सौगात सैकड़ों
कब तक छला करोगे यूँ ग़ुरबत के नाम पर

दुनिया बदल गई है ,हवाएँ बदल गईं
’आनन’  तू रो रहा है रवायत के नाम पर 

=आनन्द.पाठक-


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