बुधवार, 28 जुलाई 2021

अनुभूतियाँ : क़िस्त 009


अनुभूतियाँ : क़िस्त 009 ओके

33
प्रश्न तुम्हारा वहॊं खड़ा है
मैं ही उत्तर ढूँढ न पाया ।
ग्यान-ध्यान क्या, दर्शन क्या है
मूढ़्मना को समझ न आया ।

34
प्रथम मिलन की यादें बाक़ी
आई थी तुम नज़र झुका कर
जाने किसकी  नज़र लग गई
भाग गई तुम आँख बचा कर
 
35
वैसे थी तो बात ज़रा सी  
तुम ने तिल का ताड़ बनाया
्दोष किसी का, ग़लती किसकी
मेरे सर इलजाम लगाया
 
36
जाना ही था, कह कर जाती
 दिल के टुकड़े चुन कर जाती
मेरी भी क्या थी मजबूरी 
 कुछ तो मेरी  सुन कर जाती
-आनन्द.पाठक--
x
x

कोई टिप्पणी नहीं: