शनिवार, 2 सितंबर 2023

ग़ज़ल 337[13 F] : खुशियों का ज़िंदगी में अभी सिलसिला नहीं

 ग़ज़ल 337 [13F]

221---2121---1221---212


खुशियों का ज़िंदगी में अभी सिलसिला नहीं

मैने भी ज़िंदगी से अभी कुछ कहा नहीं ।


हालात-ए-ज़िंदगी से कोई ग़मज़दा न हो

ऐसा तो कोई शख़्स अभी तक मिला नहीं ।


नफ़रत की आँधियॊं से उड़ा आशियाँ  मेरा

ज़ौर-ओ-सितम से एक भी तिनका बचा नहीं


दीवार थी गुनाह की दोनों के बीच में ,

वरना था दर्मियान कोई फ़ासला नहीं ।


वैसे कहानी आप की तो बारहा सुना

फिर भी नई नई सी लगी, दिल भरा नहीं ।


नदिया में प्यास की न तड़प ही रही अगर

सागर से फिर मिलन का असर खुशनुमा नहीं ।


’आनन’ ख़याल-ओ-ख़्वाब में इतना न डूब जा

दुनिया की साज़िशों का तुम्हें हो पता नही ।


-आनन्द पाठक-

सं 28-06-24

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