मंगलवार, 9 अगस्त 2022

ग़ज़ल 247[12E] : आप से दिल लगा के बैठे हैं--

  ग़ज़ल 247 [12E]


2122---1212---22


आप से दिल लगा के बैठे हैं

खुद को ख़ुद से भुला के बैठे हैं


हाल-ए-दिल हम सुना रहें उनको

और वो मुँह घुमा के बैठे हैं


इश्क़ में कौन जो नहीं फिसला

दाग़-ए-इसयाँ लगा के बैठे हैं


एक दिन वो इधर से गुज़रेंगे

राह पलकें बिछा के बैठे हैं


मेरी चाहत में कुछ कमी तो न थी

वो नज़र से गिरा के बैठे हैं


या इलाही ! उन्हे हुआ क्या है !

ग़ैर के पास जा के बैठे हैं


बात ’आनन’ ने क्या कही ऐसी

आप दिल से लगा के बैठे हैं 


-आनन्द.पाठक-


दाह-ए-इसयाँ = गुनाहों के दाग़

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