शनिवार, 3 अगस्त 2024

ग़ज़ल 411[ 63-फ़] : मेरी यादों में आ रहा है वो

 ग़ज़ल 411 [63-फ़ ]

2122---1212---22


मेरी यादों में आ रहा है वो

जैसे मुझको बुला रहा है वो ।


या ख़ुदा दिल की ख़ैरियत माँगू

रुख़ ए पर्दा उठा रहा है वो ।


वह ज़ुबाँ से तो कुछ नहीं कहता

पर निगाहे झुका रहा है वो ।


सामने देख कर नज़र आता ,

हाल दिल का छुपा रहा है वो ।


गीत वैसे तो गा रहा मेरा ,

दर्द अपना सुना रहा है वो ।


अब तो बातों में रह गई बातें

अब न वादा निभा रहा है वो ।


बात कुछ भी तो थी नहीं ’आनन’

ताड़, तिल का बना रहा है ,वो ।


-आनन्द.पाठक-


कोई टिप्पणी नहीं: