मंगलवार, 20 अगस्त 2024

दोहे 21 : श्रावणी

दोहे 21 : श्रावणी


 सोमनाथ के द्वार पर, शरणागत 'आनन्द ।

ना जानू कैसे करूँ, स्तुति वाचन छन्द ।। 


शिव जी से क्या माँगना , जाने मेरा हाल ।

बस इतना ही दें प्रभू , मन ना हो वाचाल ॥ 


भक्ति-भाव में मन रमे, बाबा भोलेनाथ ।

वर इतना बस दीजिए, कभी ना छूटे हाथ ॥



कोई टिप्पणी नहीं: