सोमवार, 5 अगस्त 2024

ग़ज़ल 414 [66 फ़] : इश्क़ करना बुरा नहीं होता

 414 [66 फ़]                               

2122---1212---22-


इश्क़ करना बुरा नहीं होता ,

हर बशर बावफ़ा नहीं होता ।


हुस्न कब आ के दिल चुरा लेगा

दिल को भी ये पता नहीं होता ।


आप के दर तलक कईं राहें

एक ही रास्ता नहीं होता ।


बात मैं क्या सुनूँ तेरी ज़ाहिद ,

दिल ही जब आशना नहीं होता ।


प्यास कोई अगर नहीं होती

आदमी फिर चला नहीं होता ।


दिल अगर खोल कर जो हम रखते

लौट कर वो गया नहीं होता ।


दरहक़ीक़त यह बात है ’आनन’ 

इश्क़ का मरहला नहीं होता ।


-आनन्द.पाठक-

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