मंगलवार, 26 दिसंबर 2023

ग़ज़ल 350[25} चुनावों का ये मौसम

ग़ज़ल 350

1222---1222---1222---1222


चुनावों काये मौसम,है  तुझे सपने दिखाएगा

घिसे नारे पिटे वादे, वही फिर से सुनाएगा ।


थमा कर झुनझुना हमको, हमें बहला रहा कब से

सभी घर में है ख़ुशहाली, वो टी0वी0 पर दिखाएगा


सजा कर आँकड़े संकल्प पत्रों में हमे देगा

वो अपनी पीठ अपने आप ख़ुद ही थपथाएगा ।


किनारे पर खड़े होकर नसीहत करना आसाँ है

उतर कर आ समन्दर में , नसीहत भूल जाएगा


इधर टूटे हुए चप्पू , उधर दर्या है तूफानी

हुई अब  नाव भी जर्जर, तू कैसे पार पाएगा ?


सभी अपने घरों में बन्द हो अपना ही सोचेंगे

लगेगी आग बस्ती में ,बुझाने कौन आएगा ।


किसी की अन्धभक्ति में चलेगा बन्द कर आँखें

गिरेगा तू अगर ;आनन; ग़लत किसको बताएगा 


-आनन्द.पाठक-



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