मंगलवार, 26 दिसंबर 2023

ग़ज़ल 350[26F] चुनावों का ये मौसम

ग़ज़ल 350 [26F]

1222---1222---1222---1222


चुनावों का ये मौसम, है  तुझे सपने दिखाएगा

घिसे नारे पिटे वादे, वही फिर से सुनाएगा ।


थमा कर झुनझुना हमको, हमें बहला रहा कब से

सभी घर में है ख़ुशहाली, वो टी0वी0 पर दिखाएगा ।


सजा कर आँकड़े संकल्प पत्रों में हमें देगा

वो अपनी पीठ अपने आप ख़ुद ही थपथाएगा ।


किनारे पर खड़े होकर नसीहत करना आसाँ है

उतर कर आ समन्दर में , नसीहत भूल जाएगा ।


इधर टूटे हुए चप्पू , उधर दर्या है तूफानी ,

हुई अब  नाव भी जर्जर, तू कैसे पार पाएगा ?


सभी अपने घरों में बन्द हो अपना ही सोचेंगे

लगेगी आग बस्ती में ,बुझाने कौन आएगा ।


किसी की अन्धभक्ति में चलेगा बन्द कर आँखें

गिरेगा तू अगर ’आनन’ ग़लत किसको बताएगा  ।


-आनन्द.पाठक-

सं 29-06-24



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