अनुभूतियाँ 131/18 : [ नोट : भाग 2 देखें 136/23 ]
:1:
राम लला जी के मंदिर का
संघर्षों की एक कहानी
नई फ़सल अब क्या समझेगी
प्राण दिए कितने बलिदानी
;2:
पावन क्षण में पावन मन से
पूजन अर्चन शत शत वंदन
स्वागत में हम खड़े राम के
लेकर अक्षत रोली चंदन
:3:
जन मन में अब राम बसे हैं
हर्षित हैं सब अवध निवासी
सब पर कृपा राम की होती
जन मानस,साधु सन्यासी
:4:
रामराज की बातें तब तक
जब तक राम हृदय में बसते
वरना तो कुरसी की खातिर
सबके अपने अपने रस्ते
:5:
मंदिर का हर पत्थर पावन
प्रांगण का हर रज कण चंदन
हाथ जोड़ कर शीश झुका कर
राम लला का है अभिनंदन
:6:
हो जाए जब सोच तुम्हारी
राग द्वेष मद मोह से मैली
राम कथा में सब पाओगे
जीवन के जीने की शैली ।
:7:
एक बार प्रभु ऐसा कर दो
अन्तर्मन में ज्योति जगा दो
काम क्रोध मद मोह तमिस्रा
मन की माया दूर भगा दो ।
-आनन्द.पाठक-
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