बुधवार, 10 जनवरी 2024

गीत 81[06] : शरण में राम की आना [ भाग-1]


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श्री रामलला की  प्रतिष्ठा [ 22 जनवरी ] के पावन अवसर पर--श्री राम लला के पावन चरणों मे 
 एक अकिंचन भेंट ------

एक गीत 81[06]

उदासी मन  पे जब छाए , अँधेरा फैलता जाए ,
तनिक भी तुम न घबराना. शरण में राम की आना।

करें जब राम का सुमिरन
कटे बंधन सभी ,प्यारे !
हृदय में ज्योति जग जाए
लगें सब लोग तब न्यारे ।

अकेला मन भटक जाए, समझ में कुछ नही आए,
सही जब राह हो पाना, शरण में राम की  आना ।

राम के नाम की महिमा,
सदा नल-नील ने जानी ,
कि तरने लग गए पत्थर
झुका सागर भी अभिमानी

अहम जब सर पे चढ़ जाए, सभी बौने नज़र आएँ
पड़े तुमको न पछताना, शरण में राम की आना ।

जगत इक जाल माया का,
फँसा रहता तू जीवन भर
कभी तो सोच ऎ प्राणी !
है करना पार भव सागर ।

जगत जब तुमको भरमाए, कि माया तुमको ललचाए
धरम को भूल मत जाना, शरण में राम की  आना ।

-आनन्द.पाठक-

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