मंगलवार, 19 दिसंबर 2023

अनुभूतियाँ 129/16

 129/16


513

अगम व्यथाओं का होता है

एक समन्दर सब के अन्दर

कश्ती पार लगेगी कैसे

जूझा करते हैं जीवन भर


514

ग़लत बयानी करते रहना

ख़ुद ही उलटे शोर मचाना

नया चलन हो गया आजकल

सच की बातों को झुठलाना


515

पंडित जी ने बतलाया था

शर्त तुम्हारी पता तुम्हारा

पाप-पुण्य की ही गणना में

बीत गया यह जीवन सारा


516

सबकी अपनी व्यथा-कथा है

अपने अपने विरह मिलन की

सब के आँसू एक रंग के

मौन कथाएँ पीर नयन की


-आनन्द.पाठक-


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