शुक्रवार, 11 जुलाई 2025

चन्द माहिए 107/17

 चन्द माहिए : 107 /17

:1:

प्रवचन तो अच्छा है
लेकिन मन भी क्या
उतना ही सच्चा है ?

:2:
क्यों  फेर रहा माला
साफ़ ज़रा कर लें
मन पर जो पड़ा जाला

:3:
मन साध नहीं ्पाया
चंदन टीका ही
केवल तुझको भाया

:4:
कंठी टीका माला
दंड कमंडल भी
मन फिर भी है काला

:5:
दुनिया को सिखाते हो
भगवाधारी बन
खुद कब अपनाते हो ?

-आनन्द पाठक-

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