क़िस्त 91 /01: [माही उस पार]==चन्द माहिए सावन पर
:1:
भींगे जब जब तन मन
सावन की बूँदे
लगती हैं मन भावन ।
;2:
अब की सावन में
आएँगे साजन
गोरी सोचे मन में ।
रुक ! सुन तो ज़रा बादल !
कैसे है प्रियतम?
यह पूछ रही पायल
4
भूले से आ जाते
सावन में साजन
झूले पे झुला जाते
5
सावन की हरियाली
मस्त हुआ मौसम
कलियाँ भी मतवाली
-आनन्द पाठक-
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें