बुधवार, 11 मई 2022

आवाज़ 003 :एक अनुभूति


एक अनुभूति और 

बीती रातों की  बातें सब

मुझको कब सोने देती हैं ?

कस्म तुम्हारी खड़ी सामने

मुझको कब रोने देती हैं ?


-आनन्द.पाठक-


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