चन्द माहिया : क़िस्त 34
:1:
पूछा तो कभी होता
दिल से भी मेरे
यह, किस के लिए रोता ?
:2:
सोने भी नहीं देतीं
यादें अब तेरी
रोने भी नहीं देतीं
:3:
क्यों मन से हारे हो ?
जीते जी मर कर
अब किस के सहारे हो?
:4:
ग़ैरों से सुना करते
सुनते जो मुझ से
क्यूँ तुम से गिला करते
:5:
वो शाम सुहानी है
शामिल है जिसमे
कुछ याद पुरानी है
-आनन्द पाठक
1 टिप्पणी:
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 19 सितम्बर 2016 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
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