शनिवार, 17 सितंबर 2016

चन्द माहिया :क़िस्त 34

न्द माहिया : क़िस्त 34

:1:
पूछा तो कभी होता
दिल से भी मेरे
यह, किस के लिए रोता ?

:2:
सोने भी नहीं देतीं
यादें अब तेरी
रोने भी नहीं देतीं
:3:
क्यों मन से हारे हो ?
जीते जी मर कर
अब किस के सहारे हो?
:4:
ग़ैरों से सुना करते
सुनते जो मुझ से
क्यूँ तुम से गिला करते

:5:
वो शाम सुहानी है शामिल है जिसमे कुछ याद पुरानी है

-आनन्द पाठक

[सं 13-06-18]

1 टिप्पणी:

yashoda Agrawal ने कहा…

आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 19 सितम्बर 2016 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!