चन्द माहिया : क़िस्त 43
:1:
हर साँस अमानत है
जितनी भी हासिल
तेरी ही इनायत है
:2:
्सब ज़ेर-ए-नज़र उनकी
:1:
हर साँस अमानत है
जितनी भी हासिल
तेरी ही इनायत है
्सब ज़ेर-ए-नज़र उनकी
कौन छुपा उनसे
उनको है ख़बर सबकी
:3:
कब मैने सोचा था
टूट गया वो भी
जो तुम पे भरोसा था
:4:
इतना जो मिटाया है
और मिटा देते
दम लब पर आया है
:5:
आँखों में शरमाना
कुछ तो है दिल में
रह रह कर घबराना
-आनन्द.पाठक-
[सं 15-06-18]
:3:
कब मैने सोचा था
टूट गया वो भी
जो तुम पे भरोसा था
:4:
इतना जो मिटाया है
और मिटा देते
दम लब पर आया है
:5:
आँखों में शरमाना
कुछ तो है दिल में
रह रह कर घबराना
-आनन्द.पाठक-
[सं 15-06-18]
1 टिप्पणी:
निमंत्रण
विशेष : 'सोमवार' २१ मई २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने साप्ताहिक सोमवारीय अंक के लेखक परिचय श्रृंखला में आपका परिचय आदरणीय गोपेश मोहन जैसवाल जी से करवाने जा रहा है। अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।
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