शुक्रवार, 20 जून 2014

चन्द माहिया : क़िस्त 02

:1:

किस बात पे हो रूठे ,
किस ने कहा तुम से
सब रिश्ते हैं झूठे ?

:2:

जाना था,नहीं आते
आ ही गये हो तो
कुछ देर ठहर जाते

:3:

जब तुमने नहीं माना
सच को सच मेरा
दुनिया ने कब जाना

:4:

आँखों के अन्दर है
तब तक है आँसू
निकले तो समन्दर है

:5: 

आँसू में छुपा है ग़म
कहने को क़तरा
दरिया से नहीं है कम

-आनन्द.पाठक

[सं 21-10-20]

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