:1;
ख़ुद से न गिला होता
यूँ न भटकते हम
तू काश! मिला होता
:2:
ऐसे न बनो बरहम
चुप हो पहलू में !
कैसी ये सजा जानम ?
:3:
बरगद बूढ़ा ही सही
घर के आँगन में
इक छाँव बनी तो रही
:4:
मिलने में मुहुरत क्या
जब चाहे आना
साइत की ज़रूरत क्या
:5:
रिश्तों को निभा देना
बर्फ़ जमी हो तो
कुछ धूप दिखा देना
[सं 21-10-20]
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