:1:
ख़ुद से कुछ कहता है
तनहाई में दिल
जब खोया रहता है ?
:2:
फिर लौट के कब आना
आज नहीं तो कल
इक दिन तो हमें जाना
आज नहीं तो कल
इक दिन तो हमें जाना
:3:
परदा ये उठाना है
आस बँधी तुम से
जीने का बहाना है
:4:
जो दर्द हैं जीवन के
कह देते हैं सब
दो आँसू विरहन के
:5:
ख़ंज़र से न गोली से
नफ़रत मरती है
इक प्यार की बोली से
-आनन्द पाठक-
[सं0 15-06-18]
3 टिप्पणियां:
सुंदर रचनाएं , आनंद सर धन्यवाद !
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आ0 कुलदीप जी/आशीष भाई
सराहना के लिए आप सभी लोगों का धन्यवाद
सादर
-आनन्द.पाठक
सुन्दर कोमल माहिया दर्दे दिल लिए तड़प लिए विछोह की आत्म से परमात्म की।
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