:1:
ख़ुद से कुछ कहता है
तनहाई में दिल
क्या बातें करता है ?
:2:
फिर लौट के कब आना
आज नहीं तो कल
इक दिन तो हमें जाना
आज नहीं तो कल
इक दिन तो हमें जाना
:3:
तुमको नहीं आना है
आस रही फिर भी
जीने का बहाना है
:4:
जो दर्द हैं जीवन के
कह देते हैं सब
दो आँसू विरहन के
:5:
ख़ंज़र से न गोली से
नफ़रत मरती है
इक प्यार की बोली से
-आनन्द पाठक-
[सं0 15-06-18]
4 टिप्पणियां:
सुंदर प्रस्तुति...
दिनांक 21/08/2014 की नयी पुरानी हलचल पर आप की रचना भी लिंक की गयी है...
हलचल में आप भी सादर आमंत्रित है...
हलचल में शामिल की गयी सभी रचनाओं पर अपनी प्रतिकृयाएं दें...
सादर...
कुलदीप ठाकुर
सुंदर रचनाएं , आनंद सर धन्यवाद !
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आ0 कुलदीप जी/आशीष भाई
सराहना के लिए आप सभी लोगों का धन्यवाद
सादर
-आनन्द.पाठक
सुन्दर कोमल माहिया दर्दे दिल लिए तड़प लिए विछोह की आत्म से परमात्म की।
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