;1:
उल्फ़त की राहों से
कौन नहीं गुज़रा
मासूम गुनाहों से
:2:
आँसू न कहो इसको
एक हिकायत है
चुपके से पढ़ो इसको
:3:
कुछ वस्ल की बातों में
उम्र कटी मेरी
कुछ हिज्र की रातों में
:4:
ये किसकी निगहबानी
हुस्न है बेपरवाह
और इश्क़ की नादानी
:5:
तेरी चाल शराबी है
क्यूँ न बहक जाऊँ
मौसम भी गुलाबी है
-आनन्द पाठक
[सं 09-06-18]
2 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर..
.
बेहतरीन माहिये !
गुनगुनाते हुए पढ़ने का आनंद लिया है...
आभार
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