:1:
दीदार न हो जब तक
चढ़ता ही जाए
उतरे न नशा तब तक
:2:
ये इश्क़ सदाकत है
खेल नहीं , साहिब !
इक तर्ज़-ए-इबादत है
:3:
बस एक झलक पाना
मतलब है इसका
इक उम्र गुज़र जाना
:4:
अपनी पहचान नहीं
ढूँढ रहा बाहर
भीतर का ध्यान नहीं
:5:
जब तक मैं हूँ ,तुम हो
कैसे कह दूँ मैं
तुम मुझ में ही गुम हो
-आनन्द.पाठक
[सं 09-06-18]
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