1:
कहने को याराना
वक़्त ज़रूरत, वो
हो जाता बेगाना
:2:
दिल में जो लगी हो लौ
आना चाहो तो
आने की राहें सौ
:3:
रह-ए-इश्क़ में हूँ गाफ़िल
दुनिया कहती है
मंज़िल यह ला-हासिल
:4;
इस दिल को तसल्ली है
क़ायम है अब भी
तेरी जो तजल्ली है
:5;
जुल्फ़ों को सुलझा लो
या तो इन्हें बाँधो
या मुझको उलझा लो
[तजल्ली =ज्योति.नूर-ए-हक़]
-आनन्द.पाठक
[सं 10-06-18]
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें