:1:
दीवार उठाते हो
तनहा जब होते
फिर क्यूँ घबराते हो
:2:
इतना भी सताना क्या
दम ही निकल जाए
फिर बाद में आना क्या
:3;
ये हुस्न की रानाई
तड़पेगी यूं ही
गर हो न पज़ीराई
:4:
दुनिया के सारे ग़म
इश्क़ में ढल जाए
बदलेगा तब मौसम
;5;
क्या हाल बताना है
तेरे फ़साने में
मेरा भी फ़साना है
-आनन्द.पाठक-
शब्दार्थ
रानाई = सौन्दर्य
पज़ीराई= प्रशंसा
[सं 13-06-18]
5 टिप्पणियां:
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (19.02.2016) को वैकल्पिक चर्चा मंच अंक-3)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, वहाँ पर आपका स्वागत है, धन्यबाद।
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (19.02.2016) को "सफर रुक सकता नहीं " (चर्चा अंक-2257)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, वहाँ पर आपका स्वागत है, धन्यबाद।
कृपया,पहली सूचना को अनदेखा करें।
dhanyavaad aap ka
-anand.pathak
बेहतरीन अभिव्यक्ति.....बहुत बहुत बधाई.....
आ0 चतुर्वेदी जी
सराहना हेतु आप का बहुत बहुत धन्यवाद
सादर
आनन्द.पाठक
एक टिप्पणी भेजें