माहिए : क़िस्त 44 ओके
-आनन्द.पाठक-
[सं 15-06-18]
:1:
खुद तूने बनाया है
माया का पिंजरा
ख़ुद क़ैद में आया है
खुद तूने बनाया है
माया का पिंजरा
ख़ुद क़ैद में आया है
:2:
किस बात का है रोना
छोड़ के जाना है
फिर क्या पाना, खोना ?
:3:
जब चाँद नहीं उतरा
खिड़की मे,तो फिर
किसका चेहरा उभरा ?
:4:
जब तुमने पुकारा है
कौन यहां ठहरा ?
लौटा न दुबारा है
:5:
वो प्यार भरी बातें
अच्छी लगती थी
छुप छुप के मुलाकातें
अच्छी लगती थी
छुप छुप के मुलाकातें