मंगलवार, 29 अप्रैल 2025

अनुभूतियाँ 181/68

 अनुभूतियाँ 181/68


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बार बार क्या कहना है अब

समझाना तुमको मुश्किल है

अपनी ज़िद में दिल ये तुम्हारा

सच सुनने के नाक़ाबिल है ।

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