दोहे 02
नेता ऐसा चाहिए, जैसे सूप सुहाय ।
चन्दा ,चन्दा गहि रहे ,पर्ची देइ उड़ाय ॥
वही नेता है सच्चा ।
नेता जी बूझन लगे ,अब अदरक के स्वाद ।
वोट उगाने मे लगे. दे ’जुमले’ की खाद ॥
सही है हुनर आप का ।
सत्ता जिसकी सहचरी , कुर्सी हुई रखेल ।
ऐसे नेता घूमते , डाल कान में तेल ॥
कौन अब क्या कर लेगा ।।
नेता से टोपी भली ,ढँक ले सारा पाप ।
नौकरशाही अनुचरी ,आगे आगे आप ॥
वैसे छाप अँगूठ थे ,निर्वाचन के पूर्व ।
जब से मंत्री बन गए, भये ज्ञान के सूर्य ॥
नेता से टोपी भली ,ढँक ले सारा पाप ।
नौकरशाही अनुचरी ,आगे आगे आप ॥
वैसे छाप अँगूठ थे ,निर्वाचन के पूर्व ।
जब से मंत्री बन गए, भये ज्ञान के सूर्य ॥
आरती सभी उतारें ।
पद पखारने आ रहें, नेता ले जयमाल ।
पद पखारने आ रहें, नेता ले जयमाल ।
लगता है सखि !आ गया, नया चुनावी साल ॥
सभी मिल ढोल बजाओ ।
नेता जी जब हो गए, लूटपाट में सिद्ध ।
नेता जी जब हो गए, लूटपाट में सिद्ध ।
चमचे भी होने लगे, शनै शनै समृद्ध ॥
चुनावी तैयारी है ।
-आनन्द.पाठक-
-आनन्द.पाठक-
सं 10-07-24
[सं 18-08-18]
[सं 18-08-18]
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