बुधवार, 25 नवंबर 2009

एक ग़ज़ल 007 [02 A]: हमें मालूम है संसद में कल फिर क्य हुआ होगा--

गज़ल 007  ओके
मुफ़ाईलुन---मुफ़ाइलुन--मुफ़ाईलुन---मुफ़ाईलुन
1222---------1222--------1222-------1222---
बह्र-ए-हजज़ मुसम्मन सालिम 
----------
एक ग़ज़ल 07[02 A] : हमें मालूम है संसद में ---

हमें मालूम है संसद में कल फिर क्या हुआ होगा ।
वही बेबात कुछ लोगों ने हंगामा  किया  होगा ।

थे  जिसके दस मकाँ वातानुकूलित संग-ए-मरमर के
उसी ने झुग्गियों के दर्द पर भाषण दिया होगा ।

शराफ़त से, अदब से जब उसे कुछ बात रखनी थी
भरी संसद में उठ कर गालियाँ वह दे रहा होगा ।

बहस होनी जहाँ थी जब किसी गम्भीर मसले पर
वहीं संसद में ’मुर्दाबाद’ का  नारा लगा होगा ।

चले होंगे कभी चर्चे जो रोटी के, ग़रीबी  के
गिना कर आंकड़े वो सिर्फ़ सीना तानता होगा ।

कभी मण्डल-कमण्डल पर, कभी ’मस्जिद कि मन्दिर पर
इन्हीं के नाम से कोई तमाशा हो रहा होगा ।

लगा आरोप ’आनन’ पर, खड़ा है कटघरे में वह
कि शायद भूल से उसने कहीं सच कह दिया होगा ।

-आनन्द.पाठक-











2 टिप्‍पणियां:

shama ने कहा…

Desh me itna kuchh karne ko hai,par ham gade mudde ukadne pe tule hue hain..bahut khoob likha aapne!

http://shamasansmaran.blogspot.com

http://kavitasbyshama.blogspot.com

http://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.blogspot.com

हिमांशु डबराल Himanshu Dabral (journalist) ने कहा…

सच्चाई लिखी है आपने...बधाई