::1::
ये हुस्न तो फ़ानी है
फिर कैसा पर्दा
दो दिन की कहानी है
::2::
कुछ ग़म की रात रही
साथ में रुसवाई
हासिल सौगात रही
::3::
इतना तो बता देते
क्या थी ख़ता मेरी
फिर जो भी सजा देते
::4::
क्यों दुनिया के डर से
लौट गए थे तुम
आकर भी मेरे दर से
::5::
जब से है तुम्हें देखा
देख रहा हूँ मैं
इन हाथों की रेखा
-आनन्द.पाठक-
[सं0 15-06-18]
6 टिप्पणियां:
आपकी लिखी रचना बुधवार 03 सितम्बर 2014 को लिंक की जाएगी........
http://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
वाह , वाह आनंद आ गया , आनंद भाई धन्यवाद !
अनुरोध , अगर हो सके तो इधर भी एकबार -
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आ0 यशोदा जी/आशीष भाई
आप सभी का धन्यवाद
सादर
-आनन्द.पाठक
आप शब्दों के कुशल चितेरे हैं। अच्छी रचनाएँ।
beautiful
आ0 त्रिपाठी जी/ स्मिता जी
उत्साहवर्धन के लिए आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद
सादर
-आनन्द.पाठक
09413395592
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