चन्द माहिया : क़िस्त 30
:1:
तुम से गर जुड़ना है
मतलब है इस का
बस ख़ुद से बिछुड़ना है
:2:
आने को आ जाऊँ
रोक रहा कोई
कैसे मैं ठुकराऊँ ?
:3:
इक लफ़्ज़ मुहब्बत है
जिसके लिए मेरी
दुनिया से अदावत है
:4;
दीदार हुआ जब से
जो भी रहा बाक़ी
ईमान गया तब से
:5:
जब तू ही मेरे दिल में
ढूँढ रहा है मैं
फिर किस को महफ़िल में ?
आनन्द.पाठक
[सं 13-06-18]
:1:
तुम से गर जुड़ना है
मतलब है इस का
बस ख़ुद से बिछुड़ना है
:2:
आने को आ जाऊँ
रोक रहा कोई
कैसे मैं ठुकराऊँ ?
:3:
इक लफ़्ज़ मुहब्बत है
जिसके लिए मेरी
दुनिया से अदावत है
:4;
दीदार हुआ जब से
जो भी रहा बाक़ी
ईमान गया तब से
:5:
जब तू ही मेरे दिल में
ढूँढ रहा है मैं
फिर किस को महफ़िल में ?
आनन्द.पाठक
[सं 13-06-18]
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