चन्द माहिया : ..33
:1:
भर दो इस झोली में
प्यार भरे सपने
इस बार की होली में
:2:
मारो ना पिचकारी
कोरी है अब तक
तन की मेरी सारी
:3:
रंगोली आँगन की
देख रही राहें
साजन के आवन की
:4:
मन ऐसा रँगा ,माहिया !
जितना भी धोऊँ
उतना ही चढ़ा ,माहिया !
:5:
मुश्किल की पहल आए
सब्र न खो देना
इक राह निकल आए
-आनन्द.पाठक-
[सं 13-06-18]
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें