रविवार, 12 अगस्त 2018

चन्द माहिया :क़िस्त 52

चन्द माहिया   : क़िस्त 52

:1:
जब प्यार भरे बादल
सावन में बरसे
भींगे तन-मन-आँचल ।

:02:
प्यासी आँखे तरसी
बदली तो उमड़ी,
जाने न कहाँ बरसी ।

:3:
जब जब चमकी बिजली
डरती रहती हूँ
उन पर न गिरे पगली ।

:4:
चातक की प्यास वही बुझ न सकी अबतक
इक बूँद की आस रही ।

:5:
यह दर्द हमारा है
तनहाई में ज्यों
तिनके का सहारा है ।


-आनन्द.पाठक-

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