चन्द माहिया : क़िस्त 52
:1:
जब प्यार भरे बादल
सावन में बरसे
भींगे तन-मन आँचल
:2:
प्यासी आँखें तरसी
बदली तो उमड़ी
जाने न कहाँ बरसी
:3:
जब जब चमकी पगली
डरता रहता मन
उन पर न गिरे ,बिजली
:4:
इक बूँद की आस रही
बुझ न सकी अबतक
चातक की प्यास वही
:5:
ये दर्द हमारा है
तनहाई में बस
इस का ही सहारा है
-आनन्द.पाठक-
:1:
जब प्यार भरे बादल
सावन में बरसे
भींगे तन-मन आँचल
:2:
प्यासी आँखें तरसी
बदली तो उमड़ी
जाने न कहाँ बरसी
:3:
जब जब चमकी पगली
डरता रहता मन
उन पर न गिरे ,बिजली
:4:
इक बूँद की आस रही
बुझ न सकी अबतक
चातक की प्यास वही
:5:
ये दर्द हमारा है
तनहाई में बस
इस का ही सहारा है
-आनन्द.पाठक-
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