एक व्यंग्य गीत :- नेता बन जाओगे प्यारे-----😀😀😀😀😀
पढ़-लिख कर भी गदहों जैसा व्यस्त रहोगे
नेता बन जाओगे ,प्यारे ! मस्त रहोगे
कौए ,हंस,बटेर आ गए हैं कोटर में
भगवत रूप दिखाई देगा अब ’वोटर’ में
जब तक नहीं चुनाव खतम हो जाता प्यारे
’मतदाता’ को घुमा-फिरा अपनी मोटर में
सच बोलोगे आजीवन अभिशप्त रहोगे
नेता बन जाओगे ,प्यारे ! मस्त रहोगे
गिरगिट देखो , रंग बदलते कैसे कैसे
तुम भी अपना चोला बदलो वैसे वैसे
दल बदलो बस सुबह-शाम,कैसी नैतिकता? अन्दर का परिधान बदलते हो तुम जैसे
’कुर्सी,’पद’ मिल जायेगा आश्वस्त रहोगे
नेता बन जाओगे ,प्यारे ! मस्त रहोगे
अपना सिक्का सही कहो ,औरों का खोटा
थाली के हो बैगन ,बेपेंदी का लोटा
बिना रीढ़ की हड्डी लेकिन टोपी ऊँची
सत्ता में है नाम बड़ा ,पर दर्शन छोटा
’आदर्शों’ की गठरी ढो ढो ,त्रस्त रहोगे
नेता बन जाओगे ,प्यारे ! मस्त रहोगे
नेता जी की ’चरण-वन्दना’ में हो जब तक
हाथ जोड़ कर खड़े रहो बस तुम नतमस्तक
’मख्खन-लेपन’ सुबह-शाम तुम करते रहना
छू न सकेगा ,प्यारे ! तुमको कोई तब तक
नेता बन जाओगे ,प्यारे ! मस्त रहोगे
जनता की क्या ,जनता तो माटी का माधो
सपने दिखा दिखा के चाहो जितना बाँधो
राम नाम की ,सदाचार की ओढ़ चदरिया
जितना करना ’कदाचार’ हो कर लो ,साधो !सत्ता की मधुबाला पर आसक्त रहोगे
नेता बन जाओगे ,प्यारे ! -----------
-आनन्द.पाठक-
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