चन्द माहिया : क़िस्त 51
:1:
सावन की घटा काली
याद दिलाती है
जो शाम थी मतवाली
:2:
सावन के वो झूले
झूले थे हम तुम
कैसे कोई भूले
:3:
सावन की फुहारों से
जलता है तन-मन
जैसे अंगारों से
;4:
कब आएगी गोरी ?
पूछ रही मुझ से
मन्दिर की बँधी डोरी
:5:
कुछ मेरी भी सुन माहिया
गाता रहता है
दिल प्यार की धुन माहिया
-आनन्द.पाठक-
:1:
सावन की घटा काली
याद दिलाती है
जो शाम थी मतवाली
:2:
सावन के वो झूले
झूले थे हम तुम
कैसे कोई भूले
:3:
सावन की फुहारों से
जलता है तन-मन
जैसे अंगारों से
;4:
कब आएगी गोरी ?
पूछ रही मुझ से
मन्दिर की बँधी डोरी
:5:
कुछ मेरी भी सुन माहिया
गाता रहता है
दिल प्यार की धुन माहिया
-आनन्द.पाठक-
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