122---122---122---122
फ़ऊलुन---फ़ऊलुन--फ़ऊलुन--फ़ऊलुन
बह्र-ए-मुतक़ारिब मुसम्मन सालिम
---------
एक ग़ज़ल : भले ज़िन्दगी से हज़ारों ---
भले ज़िन्दगी से हज़ारों शिकायत
जो कुछ भी मिला है,उसी की इनायत
ये हस्ती न होती ,तो होते कहाँ हम
फ़राइज़ , शराइत ,ये रस्म-ओ-रिवायत
कहाँ तक मैं समझूँ ,कहाँ तक मैं मानू
वो वाइज़ की बातें ये हर्फ़-ए-हिदायत
न पंडित ,न मुल्ला ,न राजा ,न रानी
रह-ए-मर्ग में ना किसी को रिआयत
मेरी ज़िन्दगी ,मत मुझे छोड़ तनहा
किसे मैं सुनाऊँगा अपनी हिकायत
निगाहों में उनके लिखा जो पढ़ा तो
झुका सर समझ कर मुहब्बत की आयत
बुरा मानने की नहीं बात ,’आनन’
है जिससे मुहब्बत ,उसी से शिकायत
-आनन्द.पाठक--
शब्दार्थ
फ़राइज़ = फ़र्ज़ का ब0व0
शराइत = शर्तें [ शर्त का ब0व0]
रह-ए-मर्ग = मृत्यु पथ पर [ मौत की राह में ]
अपनी हिकायत = अपनी कथा कहानी
आयत = कलमा-ए-क़ुरान [ की तरह पाक] -
फ़ऊलुन---फ़ऊलुन--फ़ऊलुन--फ़ऊलुन
बह्र-ए-मुतक़ारिब मुसम्मन सालिम
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एक ग़ज़ल : भले ज़िन्दगी से हज़ारों ---
भले ज़िन्दगी से हज़ारों शिकायत
जो कुछ भी मिला है,उसी की इनायत
ये हस्ती न होती ,तो होते कहाँ हम
फ़राइज़ , शराइत ,ये रस्म-ओ-रिवायत
कहाँ तक मैं समझूँ ,कहाँ तक मैं मानू
वो वाइज़ की बातें ये हर्फ़-ए-हिदायत
न पंडित ,न मुल्ला ,न राजा ,न रानी
रह-ए-मर्ग में ना किसी को रिआयत
मेरी ज़िन्दगी ,मत मुझे छोड़ तनहा
किसे मैं सुनाऊँगा अपनी हिकायत
निगाहों में उनके लिखा जो पढ़ा तो
झुका सर समझ कर मुहब्बत की आयत
बुरा मानने की नहीं बात ,’आनन’
है जिससे मुहब्बत ,उसी से शिकायत
-आनन्द.पाठक--
शब्दार्थ
फ़राइज़ = फ़र्ज़ का ब0व0
शराइत = शर्तें [ शर्त का ब0व0]
रह-ए-मर्ग = मृत्यु पथ पर [ मौत की राह में ]
अपनी हिकायत = अपनी कथा कहानी
आयत = कलमा-ए-क़ुरान [ की तरह पाक] -
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