गीत ग़ज़ल और माहिए ------आनन्द पाठक
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मंगलवार, 6 नवंबर 2007
हास्य -क्षणिका 01
पत्नी बोली
'सुनते हैं जी !
कल शाम मंदिर में मैंने
क्या
माँगा था ?
सात जनम तक पति रुप में
तुम को पाऊ
चरणों की सेवा कर
जीवन सफल बनाऊ
मैंने बोला " भाग्यवान !
एक बात तो तुम ने कही सही है
छः जनम तो बीत चूका है
सतवाँ जनम यही है
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