कविता 01
आप क्यों उदास रहते हैं ?
अतीत की कोई
अनकही व्यथा दर्द
आंखों में उतर आता है
नीरव आंखो की दो-बूंद
सागर की अतल गहराइयों से
कहीं ज्यादा गहरा
कहीं ज्यादा अगम्य हो जाता है
आप के अंतस का दावानल
सूर्य की तपती किरणों से
कहीं ज्यादा तप्त व दग्ध हो जाता है
उदासी का यह चादर फेंक दे अनंत में
और देखें अनागत वसंत
लहरों का उन्मुक्त प्रवाह
जिन्दगी के सुगंध
जो आप के आस-पास रहते हैं
फिर आप क्यों उदास रहते हैं
आप क्यों उदास रहते हैं
-आनन्द.पाठक-
अतीत की कोई
अनकही व्यथा दर्द
आंखों में उतर आता है
नीरव आंखो की दो-बूंद
सागर की अतल गहराइयों से
कहीं ज्यादा गहरा
कहीं ज्यादा अगम्य हो जाता है
आप के अंतस का दावानल
सूर्य की तपती किरणों से
कहीं ज्यादा तप्त व दग्ध हो जाता है
उदासी का यह चादर फेंक दे अनंत में
और देखें अनागत वसंत
लहरों का उन्मुक्त प्रवाह
जिन्दगी के सुगंध
जो आप के आस-पास रहते हैं
फिर आप क्यों उदास रहते हैं
आप क्यों उदास रहते हैं
-आनन्द.पाठक-
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