गीत ग़ज़ल और माहिए ------
पेज
मुखपृष्ठ
अनुभूतियाँ
ग़ज़लें
कविताएँ
विविध
माहिए
गीत
आवाज़ का सफ़र
कोना
कतरन
रविवार, 18 नवंबर 2007
हास्य- क्षणिका 04
कहते हैं
लेखन एक विधा है
सफल वह नहीं जो जन्म से सधा हैं
समर्थ वह नहीं जो समर्थ लिखा है
समर्थ वह
जो अनर्थ लिख कर भी
छपता है ,बिकता है
कवि स्वान्त: सुखाय लिखता है
यह बात और
पाठक 'सेरिडान' लिए पढ़ता है
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें