दोहे 07
फिर भी छीना-झपट है संसद में गंभीर ।
वोटन चोटन अस करी जस कबहूँ न कराय ,
'छम्मक' 'छमिया' गाँव की आँख दिखावत जाय ।
ढुलमुल ऐसा बोलिए, अर्थ न समझे कोय
झोली अपनी भर सके, सच्चा नेता सोय
नैनन आंसू भर लिए ,देख देश का हाल
लगे सोच में डूबने ,कैसे करे हलाल !
एम०पी० तोड़, खरीद कर, बहुमत कर दें सिद्ध
इसी तरह करते रहे लोकतंत्र समृद्ध
एक पाँव कुर्सी रखे एक पाँव है जेल
जनता खुश ह्वै देखती, राजनीति का खेल
-आनन्द.पाठक-
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