मंगलवार, 6 नवंबर 2007

हास्य क्षणिका 02

एक कवि ने
अपनी कन्या की शादी का
विज्ञापन छपवाया
मजमून ऐसा कुछ बनवाया
'वर चाहिए'
'रचना' मेरी स्वरचित मौलिक
अब तक अप्रकाशित
इसी लिए रह गई आज तक
क्वारी अविवाहित
विज्ञापन के तथ्य यदि शंकित है
मौलिकता प्रमाण-पत्र
'रचना ' के पृष्ठ भाग अंकित है
-----०----०

किसी पत्र के संपादक ने
हामी भर दी
कवि जी ने शादी कर दी
एक साल के बाद
संपादक ने

धन्यवाद के साथ
खेद सहित
'रचना ' वापस कर दी
और लिख दिया
रचना सुन्दर अति-श्रेष्ठ है
उम्र में हम से वरिष्ठ है
छप नही सकती
अन्य कोई हो छोटी रचना यदि आप की
तो शायद खप सकती है

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