ग़ज़ल 19 [08 A]--ओके
फ़ाइलातुन --फ़ाइलातुन--फ़ाइलुन
2122---2122----212
बह्र-ए-रमल मुसद्द्स महज़ूफ़
-----------------------------------------
एक ग़ज़ल : वह उसूलों पर चला है......
वह उसूलों पर चला है उम्र भर
साँस ले ले कर मरा है उम्र भर
जुर्म उसका ये कि सच है बोलता
कटघरे में जो खड़ा है उम्र भर
पात केले की तरह संवेदना
वो बबूलों पर टंगा है उम्र भर
मुख्य धारा से अलग धारा रही
अपनी दुनिया में जिया है उम्र भर
वो भरोसा कर सदा मरता रहा
अपने लोगों ने छला है उम्र भर
घाव दिल के जो दिखा पाता अगर
स्वयं से कितना लड़ा है उम्र भर
राग दरबारी न’आनन’ गा सका
इस लिए सूली चढ़ा है उम्र भर
-आनन्द पाठक-
[सं 20-05-18]
2122---2122----212
बह्र-ए-रमल मुसद्द्स महज़ूफ़
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एक ग़ज़ल : वह उसूलों पर चला है......
वह उसूलों पर चला है उम्र भर
साँस ले ले कर मरा है उम्र भर
जुर्म उसका ये कि सच है बोलता
कटघरे में जो खड़ा है उम्र भर
पात केले की तरह संवेदना
वो बबूलों पर टंगा है उम्र भर
मुख्य धारा से अलग धारा रही
अपनी दुनिया में जिया है उम्र भर
वो भरोसा कर सदा मरता रहा
अपने लोगों ने छला है उम्र भर
घाव दिल के जो दिखा पाता अगर
स्वयं से कितना लड़ा है उम्र भर
राग दरबारी न’आनन’ गा सका
इस लिए सूली चढ़ा है उम्र भर
-आनन्द पाठक-
[सं 20-05-18]
3 टिप्पणियां:
कुछ शे'र उद्धृत करना चाहता था, परन्तु मन नहीं माना..........
मैं न्याय नहीं कर पाता यदि किसी खास शे'र को चुनता..........
बस तहेदिल से मुबारकबाद आपको इस नायब ग़ज़ल के लिए जिसके सभी शे'र बहुत ख़ूब हैं......
आपकी जय हो !
धन्यवाद
http://techtouchindia.blogspot.com
आ० अलबेला जी/राहुल जी
उत्साह वर्धन के लिए धन्यवाद
सादर
आनन्द.पाठक
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