सोमवार, 16 जून 2025

अनुभूतियाँ 183/70

 अनुभूतियाँ 183/70

:1:
जीवन है तो सुख दुख भी है
राग-रंग भी, मिलन-जुदाई
प्रथम साँस से अन्त साँस तक
जीवन की पटकथा समाई ।

:2:
धन दौलत ये झूठ दिखावा
एक छलावा सब माया है
छोड़ यहीं जाना है सबकुछ
कौन अमर होकर आया है।

:3:
्ज्योति जगे जब मन के अंदर
मन प्रकाश से भर जाता है
क्षमा ,दया,करुणा जग जाती
अहंकार तब मर जाता है ।

:4:
सत्य सदा कड़वा होता है
झूठ सदा मनमोहक होता
झूठ हमेशा रंग बदलता
सत्य ज्योति का द्योतक होता
-आनन्द.पाठक ’आनन’

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