अनुभूतियाँ 183/70
:1:
जीवन है तो सुख दुख भी है
राग-रंग भी, मिलन-जुदाई
प्रथम साँस से अन्त साँस तक
जीवन की पटकथा समाई ।
:2:
धन दौलत ये झूठ दिखावा
एक छलावा सब माया है
छोड़ यहीं जाना है सबकुछ
कौन अमर होकर आया है।
:3:
्ज्योति जगे जब मन के अंदर
मन प्रकाश से भर जाता है
क्षमा ,दया,करुणा जग जाती
अहंकार तब मर जाता है ।
:4:
सत्य सदा कड़वा होता है
झूठ सदा मनमोहक होता
झूठ हमेशा रंग बदलता
सत्य ज्योति का द्योतक होता
-आनन्द.पाठक ’आनन’
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें