चन्द माहिए : क़िस्त 111/21
:1:
उस पार मेरा माही
टेरेगा जिस दिन
उस दिन तो जाना ही ।
:2:
जब दिल ही नहीं माना
क्या होगा लिख कर
कोई राजीनामा ।
एक टिप्पणी भेजें
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें